Saturday, 25 September 2021

तकलीफ


 

तकलीफ से झुंजते हुए इंसान ने एक दिन 

तकलीफ के दर्रिया से मिलने की ठान ली


दूरसे किनारे पे आते हुए इंसान को देख 

शान से हसकर होशियार दर्रिया ने पूछा 


जनाब आप तो खुद करीब आ गए हमारे 

उसकी याद आ रही है जो दिल मैं छुपी है 


अभी तो किनारे पे हो जनाब आप हमारे 

जरा पैर गीले तो करो घरवाले भी याद आएंगे 


पुराने अपने दोस्तों की याद आ रही है मुझे 

आधा दर्रिया डूब कर इंसान कांपते हुए बोला


संभाल कर जनाब अभी गले तक डूब गए हो 

ईश्वर की याद मैं चूर चूर हो गए हो 


बड़ी तेज है लहरे मेरी यहाँ से कई बहा न ले जाये

खैर करो कुछ तो तकलीफ का दर्रिया जो हु 


चिढ़े हुए दर्या को देख इंसान बोला

मैं अभी शुन्य हो गया पूरा डूब गया देख 


घमंड को मिटते देख दर्रिया काफी निराश हो गया 

बौखलाकर खुद ही  फूट फूट कर रोने लगा 


दर्रिया के बाहर आते मुस्कुराकर इंसान ने पूछा 

तुम तो यही चाहते थे ना अब तो खुश हो गए ना 


रोते हुए दर्रिया  ने उभरे हुए इंसान को देख कहा  

जनाब अब आपको मैं तकलीफ कैसे दूंगा 


क्यों की अभी आप आप नहीं रहे हो

अब आप कुछ और ही बन गए हो