तकलीफ से झुंजते हुए इंसान ने एक दिन
तकलीफ के दर्रिया से मिलने की ठान ली
दूरसे किनारे पे आते हुए इंसान को देख
शान से हसकर होशियार दर्रिया ने पूछा
जनाब आप तो खुद करीब आ गए हमारे
उसकी याद आ रही है जो दिल मैं छुपी है
अभी तो किनारे पे हो जनाब आप हमारे
जरा पैर गीले तो करो घरवाले भी याद आएंगे
पुराने अपने दोस्तों की याद आ रही है मुझे
आधा दर्रिया डूब कर इंसान कांपते हुए बोला
संभाल कर जनाब अभी गले तक डूब गए हो
ईश्वर की याद मैं चूर चूर हो गए हो
बड़ी तेज है लहरे मेरी यहाँ से कई बहा न ले जाये
खैर करो कुछ तो तकलीफ का दर्रिया जो हु
चिढ़े हुए दर्या को देख इंसान बोला
मैं अभी शुन्य हो गया पूरा डूब गया देख
घमंड को मिटते देख दर्रिया काफी निराश हो गया
बौखलाकर खुद ही फूट फूट कर रोने लगा
दर्रिया के बाहर आते मुस्कुराकर इंसान ने पूछा
तुम तो यही चाहते थे ना अब तो खुश हो गए ना
रोते हुए दर्रिया ने उभरे हुए इंसान को देख कहा
जनाब अब आपको मैं तकलीफ कैसे दूंगा
क्यों की अभी आप आप नहीं रहे हो
अब आप कुछ और ही बन गए हो
Saturday, 25 September 2021
तकलीफ
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