Monday, 15 September 2025

हल्का निखारा

अभी खुद से मिलना बाकी है।

ढूँढ रहा हूँ खुद को —

अभी खुद से मिलना बाकी है।

ऐसा नहीं कि नहीं मिला खुद को;

थोड़ा-सा मिला हूँ, ज़रूर,

पर पूरा मिलना अभी बाकी है।

अभी खुद से मिलना बाकी है।

मन के नए धागे बुनने अभी बाकी हैं —

ये तो वक्त की बात है।

अभी खुद से मिलना बाकी है।

— गजानन

बहस मुझे पसंद नहीं

पता नहीं जीतने पर भी क्यों

हारने का एहसास दिलाती है

– गजानन


सच कड़वा ज़रूर होता है

पर सिर्फ़ पहली बार

झूठ तब तक मीठा रहता है

जब तक सच छुपा रहता है

– गजानन



क़बाख़्त ये instinct इतनी बुरी चीज़ है,

मौका ही नहीं देती,

बस झट से react हो जाती है।

– गजानन

जानें लोग क्यों नहीं समझते,

जो वो खोज रहे हैं — सच, भगवान या प्यार,

असल में वो, वो खुद को ढूँढ रहे हैं।

— गजानन