Monday, 15 September 2025

हल्का निखारा

अभी खुद से मिलना बाकी है।

ढूँढ रहा हूँ खुद को —

अभी खुद से मिलना बाकी है।

ऐसा नहीं कि नहीं मिला खुद को;

थोड़ा-सा मिला हूँ, ज़रूर,

पर पूरा मिलना अभी बाकी है।

अभी खुद से मिलना बाकी है।

मन के नए धागे बुनने अभी बाकी हैं —

ये तो वक्त की बात है।

अभी खुद से मिलना बाकी है।

— गजानन

बहस मुझे पसंद नहीं

पता नहीं जीतने पर भी क्यों

हारने का एहसास दिलाती है

– गजानन

सच कड़वा ज़रूर होता है

पर सिर्फ़ पहली बार

झूठ तब तक मीठा रहता है

जब तक सच छुपा रहता है

– गजानन



क़बाख़्त ये instinct इतनी बुरी चीज़ है,

मौका ही नहीं देती,

बस झट से react हो जाती है।

– गजानन

जानें लोग क्यों नहीं समझते,

जो वो खोज रहे हैं — सच, भगवान या प्यार,

असल में वो, वो खुद को ढूँढ रहे हैं।

— गजानन

मन तो बस ख़याल देता है,

जानें लोग क्यों पहले ख़याल को ही

चाहत समझ बैठते हैं।

— गजानन

अकाउंट में पैसा —

सबसे अच्छा।

— गजानन

मैं आईना कभी देखता नहीं,

क्योंकि मुझे पता है —

जो आईने में दिखता है,

वो मैं नहीं हूँ।

— गजानन

सबसे ज़्यादा responsible इंसान

अक्सर अकेला होता है।

— गजानन

सही ख़ुशी उसी में है,

जब अगला जीते,

और तुम भी न हारो।

— गजानन

अगर बात मानने से

वक़्त बच रहा हो,

तो बात मान लेनी चाहिए।

— गजानन

ज़िंदगी में

बदलाव ही

consistent होता है।

— गजानन

नशा हमेशा तुम्हारे लिए था —

न तुम्हारे शरीर के लिए,

न तुम्हारे मन के लिए।

— गजानन

थ्रिल का आधार ही डर है, 

जिसे डर ही न हो,

उसे thrill की तलाश क्यों होगी?

— गजानन

सुकून वही है —

जहाँ न आप किसी के सहारे हों,

न कोई आपका सहारा ढूँढ रहा हो।

— गजानन

सुकून वही है —

जहाँ न आप किसी के सहारे हों,

न कोई आपका सहारा ढूँढ रहा हो।

— गजानन

अक्सर लोग ख़ुशी को सुकून समझ बैठते हैं।

ख़ुशी ग़म से उभर कर आती है,

सुकून मन की शांति से।

— गजानन

अक़्सर लोग कुछ पाना चाहते हैं ख़ुशी के लिए,

पर उन्हें पता ही नहीं होता

कि असल में उन्हें चाहिए क्या।

— गजानन

जानें लोग क्यों सब छोड़-छाड़ की बातें करते हैं,

सुकून तो महसूस किया जा सकता है —

जहाँ भी हो, जैसे भी हो।

— गजानन

महसूस की हुई चीज़ें

समझाई नहीं जा सकतीं,

इसीलिए वो महसूस कहलाती हैं।

— गजानन

मन एक अनंत धारा है,

कभी न ख़त्म होने वाली कलम।

— गजानन

हम सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं,

कोविड से पूछ लो।

— गजानन

डर भी ज़िंदगी का हिस्सा है,

नमक-सा —

कम हो तो बेस्वाद,

ज़्यादा हो तो ज़हरीला।

— गजानन

ज़िंदगी अनफेयर नहीं है।

एक दरवाज़ा बंद होने पर

दूसरा खोल देती है।

तुम्हें बस मुड़कर जाना होता है।

— गजानन

आप ख़ुशनसीब हो

अगर आपसे कोई प्यार न करता हो।

प्यार अक्सर बदले में

कोई बड़ी चीज़ माँगता है।

— गजानन

क़बाख़्त!

सच्ची मोहब्बत में

हमेशा एक विलेन क्यों होता है?

— गजानन

हर संकट में

एक नया अवसर छुपा होता है।

बस शर्त ये है —

पहले आप ख़ुद को बदलें।

— गजानन

जो दिलों में रौशनी सहन नहीं कर पाते,

उनसे दूर रहना ही अच्छा है।

शायद तुम्हारी दूरी से

उनका बोझ हल्का हो जाए।

— गजानन

प्यार कभी ज़रूरत नहीं था,

ये तो ego से उभरी हुई इच्छा है।

दूसरों को मिला तो मुझे क्यों नहीं।

— गजानन

मुझसे टक्कर लेने की कोशिश मत करना।

और अगर वजह ढूँढोगे,

तो बता दूँ —

मैं उसे बताना भी ज़रूरी नहीं समझता।

— गजानन

अगर इस दुनिया में होकर भी आप न हो

तो समझ लेना

आज़ादी मिल चुकी है।

— गजानन

अधूरी इच्छाएँ,

मन पर ऐसे छा जाती हैं

जैसे बादल सूरज पर।

और शायद यही उनकी फितरत है —

कि उनका कोई स्थायी हल नहीं।

— गजानन

हर बात का जवाब ज़रूरी नहीं होता,

कभी-कभी बस सुन लेना ही काफी होता है।

पर तुम तो बिना समझे

सलाह दे बैठते हो —

और वो भी ग़लत।

— गजानन

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